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76 साल में इतनी सुधरी हिंदुस्तान की सेहत, कोरोना वैक्सीन बनाने में भारत भी रहा आगे

sampurantoday by sampurantoday
August 9, 2023
in BREAKING NEWS, देश-दुनिया
0
India's health has improved so much in 76 years.
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नई दिल्ली। Independence Day 2023: वर्ष 2023 में भारत और 1947 का भारत इस बात की याद दिलाता है कि एक देश कितनी जल्दी से विकसित हुआ। 15 अगस्त, 2023 को देश अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। यह ऐसा दिन है जो हर साल भारतीय को गर्व और खुशी की भावना से भर देता है। पिछले 77 वर्षों में, भारत नई गतिशीलता के साथ उभरा है और अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

ब्रिटिश शासकों के चंगुल से मुक्त होने के बाद, देश की स्वास्थ्य सेवाएं दोयम दर्जे की थी। टीबी, मलेरिया, डेंगू, एड्स और पोलियो जैसी बीमारियों से ग्रस्त भारत के पास अस्पताल, दवाइयां और डॉक्टरों की कमी भी थी। इन कारणों से भारतीय समाज काफी हद तक पारंपरिक दवाओं पर निर्भर रहता था।

तमाम कमियों के बावजूद भारत ने कभी भी हार नहीं मानी और इसी का नतीजा है कि जब दुनियाभर के देश कोरोना जैसी बड़ी महामारी से ग्रस्त थी और वैक्सीन की कमी से जूझ रही थी, तब भारत ने ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल नामक अपने ऐतिहासिक अभियान के जरिए अन्य देशों को वैक्सीन सप्लाई की।

खुद कोरोना की मार झेल रहे भारत ने 101 देशों को कोरोना वैक्सीन Covax सप्लाई कर दुनियाभर का दिल जीत लिया था। भारत के हेल्थ सेक्टर में इस उपलब्धि को हमेशा याद किया जाता है। स्वतंत्रता के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि मृत्यु दर (मृत्यु दर) में कमी रही है। राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण पहल शुरू करने से लेकर कुछ घातक बीमारियों को कम करने और नियंत्रित करने तक का भारत ने एक लंबा सफर तय किया है। तो आइए पिछले 77 वर्षों में भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर एक नजर डाल लेते हैं।

जीवन प्रत्याशा (LIFE EXPECTANCY)

देश को आजादी मिलने के तीन साल बाद 1950 में देश की जीवन प्रत्याशा 35.21 वर्ष थी। 2023 में भारत की वर्तमान जीवन प्रत्याशा 70.42 वर्ष है जो 2022 से 0.23 प्रतिशत अधिक है। 2022 में देश की जीवन प्रत्याशा 70.19 थी, जो 2021 से 0.33 प्रतिशत अधिक थी। पिछले 77 वर्षों में इस संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई हैं। स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे और पहुंच में प्रगति के परिणामस्वरूप मातृ और नवजात शिशु मृत्यु दर दोनों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। सभी संयुक्त प्रयासों से देश में जीवन दीर्घायु में भी सुधार हुआ है।

शिशु मृत्यु दर (INFANT MORTALITY)

हमारे देश में बाल मृत्यु दर हमेशा से चिंता का विषय रहा है। आजादी के समय लगभग हर 8 में से 1 बच्चा एक साल का होने से पहले ही मर जाता था। आजादी के सात दशक से भी अधिक समय के बाद, इस संख्या में भारी सुधार देखने को मिला। मृत्यु दर अब प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 30 तक कम हो गई है। सरकार द्वारा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के प्रयास से ही ये मुमकिन हो सका है। सरकार ने आंगनवाड़ी सेवा योजना और पोषण अभियान जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान केंद्रित किया है।

तपेदिक (TUBERCULOSIS)

टीबी बीमारी से निपटने में भारत ने एक लंबा सफर तय किया है। 1990 के दशक में, भारत सरकार ने टीबी से निपटने और उन पर काम करने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए।तब से, देश भर में मामले का पता लगाने की दर मामूली 30 प्रतिशत से बढ़कर 70 प्रतिशत हो गई है, जबकि उपचार की सफलता दर 35 प्रतिशत से बढ़कर 85 प्रतिशत हो गई है। पिछले बीस वर्षों में, भारत में प्रति 100,000 लोगों पर टीबी रोगियों की संख्या 289 से घटकर 188 हो गई है। देश ने 2020 में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसका लक्ष्य 2025 तक देश से तपेदिक को खत्म करना है।

टीकाकरण (VACCINATION)

भारत में पहला टीकाकरण 1802 में चेचक के लिए किया गया था। उस समय से अब तक सरकार ने 1978 में विस्तारित टीकाकरण कार्यक्रम (ईपीआई) नामक एक राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया। इसे 13 जीवन-घातक बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण को शामिल करने के लिए विस्तारित किया गया है। बता दें की तीन-चौथाई बच्चों को इन बीमारियों के खिलाफ टीका लगाया जाता है। बचपन में टीकाकरण बचपन की मृत्यु दर और रुग्णता को रोकने का एक प्रभावी तरीका रहा है। भारत ने कोविड-19 टीकाकरण रोलआउट में भी अच्छा प्रदर्शन किया है और अब तो देश तीसरी खुराक देने में भी समर्थित हो चुका है।

डॉक्टर और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता

(DOCTORS AND COMMUNITY HEALTH WORKERS)

1951 में, भारत की कुल आबादी 36.1 करोड़ थी और उस दौरान डॉक्टर की संख्या 50,000 थी। आज यह संख्या लगभग 13 करोड़ तक पहुंच गई है। भारत में चिकित्सा शिक्षा के दायरे और पहुंच में काफी सुधार हुआ है। स्वास्थ्य कर्मियों के मामले में, भारत की सफलता का एक बड़ा हिस्सा सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता को जाता हैं। आशा कार्यकर्ता (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) और एएनएम (सहायक नर्सरी मिडवाइव्स), जिन्होंने लोगों और स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच एक ब्रिज की तरह काम किया है। स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बनाने में इनका योगदान महत्वपूर्ण रहा है।

हेल्थ सेक्टर प्रोग्राम

  • पल्स पोलियो
  • संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण
  • राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण
  • एनसीडी की रोकथाम और नियंत्रण

मिशन इंद्रधनुष

2014 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MOHFW) द्वारा मिशन इंद्रधनुष शुरू किया गया था। मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य दो वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं का सात रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना। इन सात में शामिल है:

  • डिप्थीरिया
  • पर्टुसिस (काली खांसी)
  • धनुस्तंभ
  • यक्ष्मा
  • पोलियो
  • हेपेटाइटिस बी
  • खसरा

एक देश के रूप में भारत अपनी आजादी के बाद से तेज गति से आगे बढ़ा है। हेल्थ सेक्टर के मामले में भारत 1947 के बाद से बहुत आगे निकल आया है। कोरोना महामारी में कड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए भारत ने बहुत लोगों की जान बचाई और ये कहने में हमें बिल्कुल भी झिझकना नहीं चाहिए की हमारी आबादी काफी स्वस्थ है। यह भारत की स्वास्थय क्षेत्र में बहुत बड़ी सफलता है।

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