नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है कि क्या ट्रांसजेंडर पुरुष को लिंग परिवर्तन संबंधी सर्जरी के जरिये महिला बनने के बाद घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत राहत मांगने का हक होता है? जस्टिस विक्रम नाथ और राजेश बिदल की पीठ ने बांबे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए इसे 2025 में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
पीठ ने पति और उसकी अलग रह रही पत्नी के वकील से अपनी दलीलें पूरी करने को कहा। पीठ ने कहा, अपील स्वीकार की जाती है। इसे 2025 में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें। पति ने हाई कोर्ट के 16 मार्च के उस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें कहा गया था कि एक ट्रांसजेंडर पुरुष जो सर्जरी कराकर महिला बनने का विकल्प चुनता है, वह घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत राहत मांगने की हकदार है।