नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बढ़ती हुई वैश्विक अनिश्चितता से आर्थिक विकास को खतरा है और ऐसे में सिर्फ राजनीतिक स्थिरता व निश्चितता ही आर्थिक प्रगति की गारंटी हो सकती है और इसकी बदौलत ही भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
सिर्फ यह कहना की भारत पांचवीं से तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, उचित नहीं: वित्त मंत्री
शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कालेज ऑफ कामर्स के छात्रों के संबोधन में सीतारमण ने दुनिया में जारी खाद्य व खाद संकट के साथ सप्लाई चेन में बाधा का जिक्र करते हुए कहा कि राजनीतिक उठापटक और गठबंधन की सरकार अर्थव्यवस्था की बढ़ोतरी की गति को धीमी कर सकती है।
इसलिए सिर्फ यह कह देना कि भारत पांचवीं से तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, उचित नहीं होगा। इसके लिए राजनीतिक स्थिरता की जरूरत है। एक ऐसी सरकार की जरूरत है जो भविष्य को समझ सके, सुधारों के लिए तैयार हो और व्यापार को बढ़ाने के लिए स्थायित्व दे सके।
23 सालों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 919 अरब डॉलर: वित्त मंत्री
यही फर्क है मोदी सरकार में और पूर्व की सरकार में जहां राजनीतिक स्थिरता और फैसले का अभाव था। सीतारमण ने मोदी सरकार के फैसले के नतीजा का उल्लेख करते हुए कहा कि अप्रैल 2000 से लेकर इस साल मार्च तक पिछले 23 सालों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 919 अरब डॉलर का रहा और इनमें से 65 प्रतिशत विदेशी निवेश मोदी सरकार के नौ साल में हुआ।
अप्रैल 2014 से लेकर वर्ष 2023 के मार्च तक 595.25 अरब डॉलर का निवेश किया गया। उन्होंने कहा कि बहुत लोग यह कह रहे हैं कि तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत शुमार हो जाएगा, लेकिन हम इसका श्रेय नहीं लेना चाहते हैं। यह भारत के लोग है जिन्हें इसका श्रेय दिया जाना चाहिए।
देशवासियों ने देश की अर्थव्यवस्था को 10वें स्थान से 5वें स्थान पर लाया है
यह भारत के लोग है जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को 10वें स्थान से पांचवें पर लाया है और अब तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने जा रहे हैं। छात्रों के संबोधन में वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने आर्थिक विकास के लिए अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर के नज सिद्धांत का इस्तेमाल किया।
भारत की जरूरतों के मुताबिक आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए नज सिद्धांत का टूल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे बेटियों की संख्या बढ़ाने व उनके विकास के लिए बेटी बचाओ व बेटी पढ़ाओ का नारा दिया गया। वैसे ही असंगठित श्रमिकों के लिए ई-श्रमिक पोर्टल बनाए गए। स्वनिधि व उज्ज्वला जैसी कई स्कीम चलाई गई।