देहरादूनः उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में नई और शक्तिशाली ऑगर मशीन ने शुक्रवार सुबह तक 24 मीटर मलबे को भेद दिया। इससे पिछले पांच दिनों से अधिक समय से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों के जल्द बाहर आने की उम्मीद बढ़ गई है। सिलक्यारा में बने उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, सुरंग में जमा मलबे में सुबह 6 बजे तक 21 मीटर की दूरी तक ‘ड्रिलिंग’ की गई थी। शुक्रवार दोपहर तक 24 मीटर तक मलबा भेद दिया गया। सुरंग में 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा है, जिसमें ड्रिलिंग की जानी है
वैकल्पिक सुरंग
योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 800 एमएम और 900 एमएम व्यास के कई बड़े पाइप को एक के बाद एक इस तरह डाला जाएगा कि मलबे के एक ओर से दूसरी ओर तक एक वैकल्पिक सुरंग बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं। इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गई थी, लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने से काम को बीच में रोकना पड़ा था। बाद में वह ऑगर मशीन भी खराब हो गई थी।
अमेरिकी मशीनें
मशीन के खराब होने के बाद भारतीय वायुसेना के सी-130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी बड़ी, अत्याधुनिक और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन दो हिस्सों में दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाई गई जिससे कल दोबारा ड्रिलिंग शुरू की गई। अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा, उन्हें ऑक्सिजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाया जा रहा है।
क्यों लग रहा है समय?
रेस्क्यू ऑपरेशन में फिर कोई बाधा न आए, इसके लिए बैकअप में एक और मशीन इंदौर से मंगवाई जा रही है। बता दें कि 110 से ज्यादा घंटे से मजदूर सुरंग के अंदर फंसे हैं। ऑगर मशीन से मलबे में खुदाई से 30 से 35 घंटे के अंदर मजदूरों के बाहर आ जाने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि एक पाइप से दूसरे पाइप को जोड़ने में काफी वक्त लग रहा है। इसके बाद ड्रिलिंग के लिए अलग से समयलग रहा है। मलबे में ड्रिल करने और 6 मीटर लंबे पाइप को धकेलने में तकरीबन डेढ़ घंटे का समय लग रहा है। एक पाइप को दूसरे पाइप से जोड़ने में करीब दो घंटे लग रहे हैं। बीच-बीच में मशीनों को आराम भी दिया जा रहा है।
कब बाहर आएंगे मजदूर?
बचाव टीम में शामिल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मजदूरों तक पहुंचने वाली वैकल्पिक सुरंग बनाने में शुक्रवार रात तक का समय लग सकता है। इस बीच मजदूरों के लिए ऑक्सिजन और खाद्य सामग्री की लगातार सप्लाई की जा रही है। सुरंग के अंदर बिजली और पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था है। जरूरत पड़ने पर श्रमिकों को दवा आदि भी भेजा जा रहा है।