केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने परिवारवाद की राजनीति पर हमला बोला है. शुक्रवार को नागपुर में श्री विश्व व्याख्यान माला 2024 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि राजनीति में कुछ लोग ऐसा बोलते हैं कि उनके बेटे का कल्याण करो. उसे टिकट दो. कुछ भी हो, लेकिन मेरी पत्नी और बेटे को टिकट दे दो.
उन्होंने कहा कि यह इसलिए हो रहा है, क्योंकि लोग उन्हें वोट देते हैं, लेकिन जिस दिन लोगों ने यह ठान लिया कि ऐसे लोगों को वोट नहीं देना है तो वे एक मिनट में ठीक हो जाएंगे. अपनी काबिलियत प्रूफ करना चाहिए. लोगों को कहना चाहिए कि आप अपने बेटे को टिकट दीजिए.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि अपनी संस्कृति में कहा गया है…वसुधैव कुटुंबकम यानी विश्व का कल्याण हो. हमारी संस्कृति में यह कहीं नहीं कहा गया है कि पहले मेरा कल्याण हो. पहले मेरे बेटे का कल्याण हो. मेरे दोस्तों का कल्याण हो.
भारतीय संस्कृति में वसुधैव कुटुंबकम कहा गया
उन्होंने कहा कि राजनीति में कुछ लोग ऐसा बोलते हैं कि मेरे पहले बेटे का कल्याण करो और उसे टिकट दे दो. मेरी पत्नी को टिकट दो. उन्होंने कहा कि यह क्यों चलता है, क्योंकि लोग उनको वोट देते हैं.
उन्होंने कहा कि वो पिछले 45 सालों से राजनीति हैं. वह किसी के गले में हार नहीं डालते हैं. 45 सालों से कोई भी न तो उनके स्वागत के लिए और न ही उन्हें छोड़ने के लिए ही आता है. वह सदा ही बोलते हैं कि एक कुत्ता भी उनके लिए नहीं आता है, लेकिन अब कुत्ते तो आने लग गये हैं, क्योंकि उन्हें जेड प्लस की सुरक्षा मिली है और जांच के लिए कुत्ते आते हैं.
जातिवाद के खिलाफ नितिन गडकरी ने कसा तंज
उन्होंने कहा कि कोई भी उनके लिए पोस्टर भी नहीं लगाता, बैनर भी नहीं लगाता, लोगों को भी कहा है कि वोट देना तो वोट दीजिए, नहीं देना तो मत दीजिए. दोगे तो भी काम तुम्हारा करूंगा, नहीं दोगे तो भी तुम्हारा काम करूंगा. जातिवाद का नाम करोगे तो मेरे यहां नहीं आना. उन्होंने कहा कि मैं पब्लिकली कहा है कि जो करेगा जात की बात, उसको कस के मारूंगा लात, मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ा, वोट देने वालों ने वोट दिया.
बता दें कि इससे पहले गडकरी ने कहा था कि उनका कोई बेटा राजनीति में शामिल नहीं हुआ है, क्योंकि उन्होंने अपने बेटों से कहा है कि यदि राजनीति में आना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी है कि पहले दीवारों पर पोस्टर चिपकाएं और जमीनी पर जाकर काम करें. उनकी राजनीतिक विरासत पर बीजेपी के कार्यकर्ताओं का अधिकार है.