गौरव सिंघल
गाजियाबाद, सम्पूर्ण टुडे संवाददाता।
गाजियाबाद। आधा लीटर दूध पीकर बिल्ली डाकघर में पार्सल की चूहों से रखवाली करती है। डाकघर में बिल्ली तीसरे या चौथे दिन शाम के समय आती है। उस समय कोई भी कर्मचारी आधा लीटर दूध बिल्ली को पीने के लिए दे देते हैं। जब तक कर्मचारी रहते हैं, बिल्ली दूध पीने के बाद सो जाती है। डाक कर्मी डाकघर के अंदर ही बंद करके चले जाते हैं। सुबह डाकघर खुलने के बाद कई चूहे मरे मिलते हैं। सिर्फ 32 रुपये के दूध में पार्सल सुरक्षित रहने से डाक कर्मी और अधिकारी भी बिल्ली से खुश रहते हैं।
बजरिया में नेशनल नोडल डिलीवरी सेंटर डाकघर बना है। डाकघर के सुपरवाइजर इस्लाहुद्दीन ने बताया कि यहां पर पूरे देश के अलावा विदेशों से भी डाक पार्सल आते हैं। इसके बाद अन्य पोस्ट आफिसों के लिए इसी डाकघर से पार्सल वितरित होेते हैं। इसके अलावा बजरिया डाकघर परिक्षेत्र के पांच सौ से सात सौ डाक पार्सल सुबह रिसीव होने के बाद शाम तक डिलीवर होते हैं। इनमें से कुछ पार्सल ग्राहक के नहीं मिलने पर दूसरे दिन डिलीवर होते हैं। इसके अलावा शाम चार से छह बजे तक आने वाले पार्सल दूसरे दिन वितरित किए जाते हैं। ऐसे में पार्सल को संभाल कर रखना पड़ता है। पहले कई बार चूहे नुकसान कर देते थे। इस्लाहुद्दीन ने बताया कि दो साल से बिल्ली हर तीसरे-चौथे दिन आती है। इससे डाकघर में चूहे नहीं रहते हैं। उन्होंने बताया कि बिल्ली होने से चूहों के कुतरने का भय नहीं रहता है। बिल्ली दफ्तर में घूमती है तो चूहे भाग जाते हैं और रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है।
2019 में बना नोडल डिलीवरी सेंटर
इस्लाहुद्दीन ने बताया कि पहले इस डाकघर से स्थानीय डाक शहरी क्षेत्र में ही वितरित होती थी। 2019 में इसे एनडीसी (नोडल डिलिवरी सेंटर) बना दिया गया। इसके बाद यहां पर डाक पार्सल की संख्या भी बढ़ गई है।
रेलवे स्टेशन पर चूहे होने से टेंडर है छूटा
रेलवे स्टेशन पर चूहों की संख्या अधिक होने से रेलवे ने दिल्ली परिक्षेत्र का टेंडर छोड़ा था, जिसमें करोड़ों रुपये सिर्फ चूहे मारने पर खर्च किया जाता है। स्टेशन के नजदीक होने से कई बार चूहों का हमला डाकघर में भी होता था, इससे पार्सलों को भी कुतर देते थे। पार्सल बचाने के लिए कर्मचारी शाम को आलमारी में बंद कर जाते थे। अब कमरों के अंदर बिना आलमारी के भी पार्सल रखे रहते हैं, लेकिन बिल्ली के डर से चूहे नहीं आते हैं।