नई दिल्ली: पोस्ट ऑफिस द्वारा पेश किए जाने वाले पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (Post Office Monthly Income Scheme) में आप एक निश्चित रकम निवेश कर, हर महीने एक निश्चित ब्याज कमा सकते हैं। आप किसी भी नजदीकी डाकघर में जाकर इस स्कीम में निवेश कर सकते हैं।
क्या है ये स्कीम?
पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (POMIS) भारत सरकार द्वारा समर्थित स्मॉल सेविंग स्कीम है जो निवेशकों को हर महीने एक निश्चित राशि को अलग रखने की अनुमति देता है। इस राशि पर ब्याज को जोड़ा जाता है और निवेशकों को हर महीने इसका भुगतान किया जाता है। चलिए जानते हैं क्या है इस स्कीम की पात्रता, ब्याज दर और क्या मिलता है फायदा।
क्या है पात्रता?
इस योजना में अगर आपको निवेश करना है तो आपको भारत का निवासी होना अनिवार्य है। अगर आप एनआरआई हैं तो आप इस योजना में निवेश नहीं कर सकते।
इस योजना में निवेश करने के लिए आपकी उम्र 10 साल से अधिक होनी चाहिए।
कितना कर सकते हैं निवेश?
इस योजना में आप न्यूनतम 1000 रुपये और सिंगल अकाउंट होल्डर होने पर अधिकतम 9 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं।
अगर आप ज्वाइंट अकाउंट (अधिकतम 3 सदस्य) खुलवाते हो तो आप न्यूनतम 1000 रुपये और अधिकम 15 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं।
कितना है ब्याज दर?
सरकार द्वारा 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर 2023 तक के लिए मंथली इनकम स्कीम पर आपको सालाना 7.4 प्रतिशत का ब्याज दिया जाता है।
क्या है नियम और शर्तें?
- यह पोस्ट ऑफिस खाता 5 साल के बाद मेच्यौर होता है।
- आप जमा की तारीख से 1 साल की समाप्ति से पहले कोई भी जमा राशि नहीं निकाल सकते।
- यदि खाता खोलने की तारीख से 1 साल के बाद और 3 साल से पहले खाता बंद कर दिया जाता है, तो मूलधन से 2 प्रतिशत के बराबर कटौती की जाती है और शेष राशि का भुगतान किया जाता है।
- यदि खाता खोलने की तारीख से 3 साल के बाद और 5 साल से पहले खाता बंद किया जाता है, तो मूलधन से 1 प्रतिशत के बराबर कटौती की जाती है और शेष राशि का भुगतान किया जाता है।
- अगर आपको खाता बंद करवाना है तो आप संबंधित डाकघर में पासबुक के साथ आवेदन पत्र जमा करके खाता समय से पहले बंद करवा सकते हैं।
- इसके अलावा संबंधित डाकघर में पासबुक के साथ आवेदन पत्र जमा करके खाता खोलने की तारीख से 5 साल की समाप्ति पर खाता बंद किया जा सकता है।
- यदि खाताधारक की परिपक्वता से पहले मृत्यु हो जाती है, तो खाता बंद किया जा सकता है और राशि नॉमिनी व्यक्ति/कानूनी उत्तराधिकारियों को वापस कर दी जाती है।