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हरियाणा की कास्ट पॉलिटिक्स, क्या है ’36 बिरादरी’ का महत्व, क्यों होता है बार-बार जिक्र?

sampurantoday by sampurantoday
September 24, 2024
in राज्य, हरियाणा
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हरियाणा की कास्ट पॉलिटिक्स, क्या है ’36 बिरादरी’ का महत्व, क्यों होता है बार-बार जिक्र?
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हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार के जरिए सियासी एजेंडा सेट किया जा रहा है. बीजेपी सत्ता की हैट्रिक लगाने का दांव चल रही है तो कांग्रेस अपने दस साल के वनवास को खत्म करने के लिए बेताब है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हर एक रैली में बस यही कह रहे हैं कि कांग्रेस को ’36 बिरादरियों’ का समर्थन मिल रहा है. बीजेपी नेता भी ’36 बिरादरियों’ की हितों की दुहाई दे रहे हैं. इतना ही नहीं गांव की समाजिक पंचायत और खाप की बैठकों में भी 36 बिरादरी का जिक्र सुना जा सकता है.

हरियाणा में कास्ट पॉलिटिक्स में राजनीतिक दल भले जाट बनाम गैर-जाट का दांव खेला जा रहा हो, लेकिन बात 36 बिरादरियों के हितों और प्रतिनिधित्व की हो रही है. कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 35 जाट उम्मीदवार उतारे हैं तो बीजेपी ने सबसे ज्यादा भरोसा 24 ओबीसी को टिकट दिया है. इस तरह बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने उम्मीदवारों का सिलेक्शन सीट के सियासी मिजाज के लिहाज से उतार है, लेकिन दुहाई 36 बिरादरियों के लेकर चलने की जी रही. ऐसे में सवाल उठता है कि हरियाणा में आखिर में 36 बिरादरी क्या है और उनका सियासी महत्व कितना है?

कहां से आया बिरादरी का शब्द?

बिरादरी का शब्द बरादर से आया है, जो एक कबीले या समान वंश वाली जनजाति के भाईचारे के लिए फारसी शब्द है. अंग्रेजी शब्द Brother इसी से बना है, जिसे भारत में जाति और कौम से जोड़कर देखा जाता है. आमतौर पर देखा गया है कि लोग एक दूसरे से उसकी जातीय के बारे में जानने के लिए पूछ लेते हैं कि किस बिरादरी से हो. जेएनयू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विवेक कुमार भी मानते हैं कि भारत उपमहाद्वीप में बिरादरी शब्द को प्रयोग जाति के लिए किया जाता है. इसी तरह हरियाणा में 36 बिरादरी का इस्तेमाल सर्व समाज के लिए किया जाता है, क्योंकि वहां पर 36 से ज्यादा जातियां है.

हरियाणा में सबसे बड़ी संख्या में जाट समुदाय

हरियाणा में सबसे बड़ी संख्या में जाट समुदाय के लोग हैं, जो सामान्य वर्ग में आते हैं जबकि यूपी और राजस्थान जैसे राज्य में ओबीसी में हैं. जाट जाति की आबादी करीब हरियाणा में 25 से 27 फीसदी है. इसके बाद 21 फीसदी दलित समुदाय के लोग हैं, जो रविदासी और वाल्मिकी सहित अलग-अलग उप जातियों में बंटे हुए हैं. ओबीसी की आबादी 30 से 32 फीसदी है, जिसमें गुर्जर, यादव, सैनी, प्रजापति, कम्बोज, कुम्हार, सुनार (सोनार), लोहार सहित करीब 32 उपजातियां है. सवर्ण समुदाय में पंजाबी, ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य (बनिया) जैसी जातियां है. इसके अलावा मुस्लिम समुदाय भी अलग-अलग जातियों में बटा हुआ है.

अक्सर जिक्र होता है 36 बिरादरियों के समर्थन का

विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी के बीच जब कोई प्रत्याशी किसी गांव में प्रचार के लिए जाता है तो गांव के लोग और समर्थक स्वागत करते हैं. ऐसे में यह संदेश देने की कोशिश की जाती है कि उनका स्वागत 36 बिरादरियों के द्वारा किया जाता है. यही वजह है कि हरियाणा ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपी और राजस्थान में भी 36 बिरादरियों की बात सुनी जा सकती है. जाट से लेकर गुर्जर और मुसलमानों तक में यह बात कही जाती है कि 36 बिरादरी का उन्हें समर्थ है.

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक छह बार के पूर्व विधायक और पूर्व वित्त मंत्री संपत सिंह का कहना है कि 36 बिरादरी की बात सिर्फ मुहावरा है, क्योंकि हरियाणा में 36 से अधिक जातियां हैं. उन्होंने कहा कि 2016 में मैंने सभी जातियों के बीच भाईचारे को मजबूत करने के लिए हिसार में अपने घर पर एक कार्यक्रम बुलाया और इसमें लगभग 85 जातियों के सदस्यों ने शिरकत किया था. हरियाणा के भाईचारा के लिए यह प्रचलन में ’36 बारादरी’ का शब्द आम तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यह समाज में सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए उपयोग करते हैं, उसका मतलब जातियों की संख्या से नहीं है.

हरियाणा में 36 बिरादरी पर क्या कहते हैं प्रोफेसर एसके चहल

प्रोफेसर एसके चहल की माने तो अजमेर-मेरवाड़ा गजेटियर(1951) में 37 जातियों के अस्तित्व का उल्लेख मिलता, लेकिन 36 का नहीं. मध्ययुगीन फारसी लेखक अपनी यात्रा वृत्तांत में उत्तर भारत में 36 बिरादरियों (कुलों या राज्यों) के अस्तित्व का उल्लेख करते हैं. 36 राजवंशों का उल्लेख राजपूतों के इतिहास में मिलता है. यह उसी तरह से है, जैसे 84 खाप का. इसका मतलब 84 गांवों की खाप पंचायत है, लेकिन सभी खापों का योग 84 गांव नहीं होता. इसी तरह 36 बिरादरी का प्रयोग सिर्फ एक मुहावरे की तरह है, जिसका इस्तेमाल विभिन्न समुदायों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है. इसका मतलब यह नहीं है कि वास्तव में 36 समुदाय है.

माना जाता है कि हरियाणा चुनाव में नेता 36 बिरादरियों का समर्थन की बात करके अपनी छवि को सर्व समाज के नेता के तौर पर दर्शाने की कोशिश की जाती है. सियासत में देखा गया है कि कई लोग एक खास वोट बैंक तक पहुंचने के लिए अपने जाति समूहों के हितों को ध्यान में रखना पसंद करते हैं. ऐसे में सर्व समाज का समर्थन हासिल करने के लिए 36 बिरादरी के सामाजिक हित की बात करते हैं.

इस बार कांग्रेस ने चला है दांव

2014 और 2019 चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के चलते कांग्रेस को जाटों की पार्टी के तौर पर स्थापित करके गैर-जाट वोटों को साधने का दांव चला है. ऐसे में माना जाता है कि हरियाणा में जाट वोट बैंक बीजेपी के साथ नहीं जाता है. कांग्रेस और भूपेंद्र हुड्डा जाट परस्त छवि को तोड़ने के लिए ही 36 बिरादरी के समर्थन की बात करते हैं. कांग्रेस ने हरियाणा में जाट से लेकर दलित, ओबीसी, पंजाबी, ब्राह्मण और मुस्लिम को टिकट देकर 36 बिरादरी का समर्थन हासिल करने का दांव चला है.

बीजेपी ने 17 जाट उम्मीदवार मैदान में उतारे

हरियाणा में जाट वोटों की सियासी ताकत और अहमियत को देखते हुए बीजेपी भी जाट विरोधी छवि से बाहर निकलने की कोशिश में है. लोकसभा के चुनाव में जाट समुदाय ने एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में वोट दिया था, जिसके चलते बीजेपी नुकसान उठाना पड़ा है. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने 17 जाट उम्मीदवार उतारे हैं. इसके अलावा ओबीसी, ब्राह्मण और पंजाबी ही नहीं दो मुस्लिम को भी टिकट देकर 36 बिरादरी का संदेश देने की कवायद की है.

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