(गौरव सिंघल/गाजियाबाद)। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एलईडी (LED Blast) में ब्लास्ट से हुई छात्र की मौत ने सभी को हैरत में डाल दिया है। प्रथम दृष्टया जांच में पुराना और घटिया एलईडी होने की बात सामने आ रही है। ब्लास्ट जैसी घटनाओं से बचना है तो जानकार ब्रांडेड टीवी का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं। हादसा साहिबाबाद के टीला मोड़ थाना क्षेत्र के हर्ष विहार द्वितीय में हुआ था।
घटिया टीवी में हो सकता है ब्लास्ट
भारत सरकार की कंपनी सेंट्रल इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड के वरिष्ठ प्रबंधक व इंजीनियर शिव नारायण ने बताया कि ज्यादातर स्टैंडर्ड मेक एलईडी टीवी में हर प्रकार के प्रोटेक्शन का प्रोविजन होता है, लेकिन निम्न स्तर के लोकल टीवी में कंपोनेंट की गुणवत्ता और सेफ्टी के मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता।
अगर ऐसे उपकरणों का उपयोग लगातार किया जा रहा है तो कंपोनेंट में हीटिंग के कारण सर्किट के अंदर शार्ट होने की संभावना बढ़ जाती है।

हादसे में घायल दो लोगों की हालत नाजुक
वहीं, गाजियाबाद पुलिस ने बुधवार को फोरेंसिक टीम से जांच नहीं कराई। जिस कमरे में धमाका हुआ था पुलिस ने उसका ताला भी नहीं खोला। बुधवार शाम को छात्र का अंतिम संस्कार कर दिया गया। हादसे में घायल दोनों लोगों की हालत नाजुक है। दोनों का जीटीबी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
हादसे के समय गेम खेल रहे थे छात्र
उधर, गाजियाबाद पुलिस का दावा है कि धमाके के समय मोबाइल एलईडी से कनेक्ट था और छात्र व उसका दोस्त उस पर गेम खेल रहे थे। हर्ष विहार द्वितीय में आटो चालक निरंजन परिवार के साथ रहते हैं। चार बेटों में सबसे छोटा 17 वर्षीय होमेंद्र दिल्ली की सुंदर नगरी कालोनी के स्कूल में 11वीं कक्षा का छात्र था। होमेंद्र अपने दोस्त के घर की तीसरी मंजिल पर बने कमरे में थे। मां ओमवती भी कमरे में काम कर रहीं थीं।
दिल्ली में हुआ पोस्टमार्टम
इस बीच अचानक दीवार पर लगा एलईडी टीवी तेज धमाके के साथ फट गया। कमरे में मौजूद तीनों लोग बुरी तरह घायल हो गए थे। तीनों को दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। डाक्टरों ने होमेंद्र को मृत घोषित कर दिया था। दिल्ली में ही शव का पोस्टमार्टम कराया गया।
जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार का कहना है कि विस्फोट के समय उन्होंने अपना मोबाइल टीवी से कनेक्ट कर रखा था। इस पर दोनों दोस्त गेम खेल रहे थे। गेम खेलते समय ही विस्फोट हो गया। वहीं, जिलाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि हादसे में घायलों को 25-25 हजार रुपये की आर्थिक मदद की जाएगी।
फोरेंसिक जांच नहीं कराई
इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी पुलिस की लापरवाही सामने आ रही है। जिस कमरे में धमाका हुआ था पुलिस ने मंगलवार को ही उसका ताला लगा दिया था। बुधवार को ताला लगा रहा। पुलिस ने खुद भी ताला खोलकर नहीं देखा और न ही फोरेंसिक टीम को बुलाकर जांच कराई, जबकि फोरेंसिक जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
वहीं पुलिस और अग्निशमन विभाग जांच को लेकर गेंद एक-दूसरे के पाले में फेंक रहे हैं। पुलिस बोल रही है कि अग्निशमन विभाग विस्फोट की जांच कर रहा है जबकि मुख्य अग्निशमन अधिकारी सुनील कुमार का कहना है कि वह तो केवल आग बुझाने के लिए वहां गए थे। धमाके की जांच का अधिकार उन्हें नहीं है।