High Court: जबलपुर। हाई कोर्ट ने मौलिक कर्त्तव्यों के पालन में मामले में अंतिम सुनवाई के निर्देश दे दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता राजधानी भोपाल निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वीके नस्वा ने अपना पक्ष स्वयं रखा। उन्होंने दलील दी कि संविधान में वर्णित किए गए मौलिक कर्तव्यों का सरकार द्वारा समुचित प्रचार-प्रसार नहीं किया जा रहा है। दरअसल, संविधान की धारा 51 ए में 12 मौलिक कर्तव्यों का वर्णन किया गया है। मौलिक कर्तव्यों का पालन सभी देशवासियों को करना चाहिए। संविधान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि मौलिक कर्तव्यों का पालन आदेशानुसार नहीं कराया जा सकता है, इसका पालन संवैधानिक तरीके से किया जाना है। मौलिक कर्तव्यों के तहत संविधान की रक्षा व सम्मान, धार्मिक सदभावना बरकरार रखना, संवैधानिक संस्थानाओं का सम्मान करना, हिंसा नहीं करना, सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना, देश की रक्षा के लिए बुलाने पर तैयार रहना आदि शामिल हैं।
विभिन्न आंदोलनों के दौरान भड़की हिंसा का हवाला दिया :
जनिहित याचिका में किसान, जाट सहित अन्य आंदोलन का उल्लेख करते हुए कहा गया कि इन आंदोलन में भड़की हिंसा के दौरान सार्वजनिक सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। इसी तरह धर्म के नाम पर दंगे भड़काए जाते हैं। संवैधानिक संस्थाओं के विरुद्ध भी टिप्पणियां होती है। पूर्व में कई कुरितियों का खात्मा प्रचार-प्रसार से सम्भव हुआ है। मौलिक कर्तव्यों के प्रचार-प्रसार के संबंध में उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार के संबंधित विभाग के साथ पत्राचार किया परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई। लिहाजा, जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने राजस्थान व महाराष्ट्र हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए युगलपीठ को बताया कि प्रचार-प्रसार के लिए बाध्यता के आदेश जारी नहीं किए जा सकते हैं। महाराष्ट्र व राजस्थान कोर्ट ने उक्त आदेश औद्यौगिक विवाद के प्रकरण में जारी किए हैं। जनहित याचिका में न्यायालय सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर सकती है। याचिकाकर्ता ने सफाई अभियान तथा कोरोना महामारी के दौरान किए गए प्रचार-प्रचार का हवाला देते हुए बताया कि इससे लोगों में जागरूकता आई थी। प्रचार-प्रचार से लोग अपने मौलिक कर्तव्य के प्रति जागरूक होंगे।