रायगढ़ । छाल साइडिंग से शुक्रवार को पहली रेक रवाना की गई। कोल माइंस का विस्तार कर 6.5 मिलियन टन उत्पादन किया है। इसे रेल लाइन से भी अब परिवहन किया जाएगा। 3400 टन कोयले का परिवहन करने वाली रेक को कोल सचिव अमृत लाल मीणा ने हरी झंडी दिखाई। वे बिलासपुर से खरसिया होते हुए रेल मार्ग से छाल साइडिंग तक पहुंचे थे।
यहां कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा और एसपी सदानंद कुमार ने उनका स्वागत किया। छाल ओपन कास्ट माइंस से 10 दिन पहले साइडिंग मे कोयला डंप किया जा रहा था। शुक्रवार को डीबी पावर के लिए 58 डिब्बे की पहली रेक रवाना हुई। 3360 टन कोयला ट्रांसपोर्ट किया गया, कार्यक्रम में प्रेम सागर मिश्रा सीएमडी बिलासपुर, जी श्रीनिवास डायरेक्टर फाइनेंस, एसके पाल डायरेक्टर ऑपरेशन, देवशीष आचार्य डायरेक्टर पर्सनल, एसएन केपरी डायरेक्टर प्रोजेक्ट प्लानिंग हेमंत शरद पाण्डेय जीएम, कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा, एसपी सदानंद कुमार रायगढ़ क्षेत्र व छाल उपक्षेत्र के अधिकारी कर्मचारी व ग्रामीण उपस्थिति रहे।
कोल सचिव मीणा ने औपचारिक उद्बोधन में कहा, पीएम गति शक्ति योजन व मल्टी मॉडल के तहत ऐसी खदानें, जहां उत्पादन दो मिलियन टन से ज्यादा है, उन खदानों में सड़क पर दबाव कम करने के लिए रेल मार्ग से कोल परिवहन किया जाएगा। खदान से साइलो के जरिए सीधे साइडिंग तक कोयला आएगा।
कोरबा रायगढ़ व बाकी जिलों मैं बड़े पैमाने पर जो कोयला डिपॉजिट है देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए इसका बहुमूल्य योगदान है। वर्तमान में कोयले का ट्रांसपोर्टेशन होता था, वह खरसिया के माध्यम से मुख्य हावड़ा मुंबई रेल लाइन के माध्यम से होता है।
वर्ष 2016 में भारत सरकार ने यह स्पेशल कोल कॉरिडोर की परिकल्पना की थी, जिसमें खरसिया से छाल होते हुए धरमजयगढ़ का जो फेस वन 70 किलोमीटर लगभग बनकर तैयार है। रेक मूवमेंट शुरू हो गया है। इसका फेस टू गेवरा दीपका कुसमुंडा साइडिंग पेंड्रा से कनेक्टिविटी देगा, जो 130 किलोमीटर का है। दिसंबर 2024 तक गेवरा पेंड्रा रेल लाइन चालू हो जाएगी।